यह धारा उन्हें तब तक प्रभावित नहीं करती जब तक अभ्यासतः चोरी या लूट करने के प्रयोजन से सहयुक्त होने का तथ्य स्पष्टतः स्थापित नहीं हो जाता।
2.
धारा 401, भा0दं0सं0 के अधीन दोष सिद्धि के लिए अभियोजन को केवल इस तथ्य पर विश्वास करना पर्याप्त नहीं है कि अभियुक्त व्यक्ति ने केवल एक अपराध के लिए अपने प्रश्नगत टोली से सहयुक्त कर रखा था।
3.
अभियोजन को यह भी सिद्ध करना होगा कि टोली (गैंग) के सदस्य अभ्यासतः चोरी या लूट कारित करने के प्रयोजन से सहयुक्त थे, किन्तु अभियोजन के लिए किसी चोरी या लूट का वास्तविक रूप से कारित होना आवश्यक नहीं है।
4.
अपराध अंतर्गतधारा-401भा0दं0सं0 के लिए यह आवश्यक है कि " जो कोई इस अधिनियम के पारित होने के पश्चात किसी भी समय ऐसे व्यक्तियों की किसी घूमती-फिरती या अन्य टोली का होगा, जो अभ्यासतः चोरी या लूट करने के प्रयोजन से सहयुक्त हो और वह टोली ठगों या डाकुओं की टोली न हो" जबकि धारा-398 भा0दं0सं0 में यह उल्लिखित किया गया है कि "लूट या डकैती करने का प्रयत्न करते समय, अपराधी किसी घातक आयुध से सज्जित होगा।